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सालासर बालाजी

 


सालासर बालाजी 

सालासर बालाजी भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है। यह राजस्थान के चुरू जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 668 पर स्थित है। वर्ष भर में असंख्य भारतीय भक्त दर्शन के लिए सालासर धाम जाते हैं। हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। भारत में यह एकमात्र बालाजी का मंदिर है जिसमे बालाजी के दाढ़ी और मूँछ है। बाकि चेहरे पर राम भक्ति में राम आयु बढ़ाने का सिंदूर चढ़ा हुआ है। हनुमान सेवा समिति, मंदिर और मेलों के प्रबन्धन का काम करती है। यहाँ रहने के लिए कई धर्मशालाएँ और खाने-पीने के लिए कई जलपान-गृह (रेस्तराँ) हैं। श्री हनुमान मंदिर सालासर कस्बे के ठीक मध्य में स्थित है। वर्त्तमान में सालासर हनुमान सेवा समिति ने भक्तों की तादाद बढ़ते देखकर दर्शन के लिए अच्छी व्यवस्था की है। मान्यता है की बालाजी महाराज सभी इच्छाओं को पूरी करते है!

स्थान

सालासर कस्बा,राजस्थान के चूरू जिले का एक हिस्सा है और यह जयपुर - बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। यह सीकर से 57 किलोमीटर, सुजानगढ़ से 24 किलोमीटर और लक्ष्मणगढ़ से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सालासर कस्बा सुजानगढ़ पंचायत समिति के अधिकार क्षेत्र में आता है और राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की नियमित बस सेवा के द्वारा दिल्ली, जयपुर और बीकानेर से से जुड़ा हुआ है। इंडियन एयरलाइंस और जेट एयर सेवा जो जयपुर तक उड़ान भरती हैं,यहाँ से बस या टैक्सी के द्वारा सालासर पहुँचने में 3.5 घंटे का समय लगता है। सुजानगढ़, सीकर, डीडवाना, जयपुर और रतनगढ़ सालासर बालाजी के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं।

यह शहर पिलानी शहर से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर है,जहाँ (बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी/बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान) स्थित है।

श्रावण शुक्लपक्ष नवमी,संवत् 1811 -दिन शनिवार को एक चमत्कार हुआ। नागौर जिले में असोटा गाँव का एक गिन्थाला-जाट किसान अपने खेत को जोत [खेत का काम] रहा था। अचानक उसके हल से कोई पथरीली चीज़ टकरायी और एक गूँजती हुई आवाज पैदा हुई। उसने उस जगह की मिट्टी को खोदा और उसे मिट्टी में सनी हुई दो मूर्त्तियाँ मिलीं। उसकी पत्नी उसके[किसान] लिए भोजन लेकर वहाँ पहुँची। किसान ने अपनी पत्नी को मूर्त्ति दिखायी। किसान की पत्नी ने अपनी साड़ी (पोशाक) से मूर्त्ति को साफ किया| यह मूर्त्ति बालाजी भगवान श्री हनुमान की थी। उन्होंने समर्पण के साथ अपने सिर झुकाये और भगवान बालाजी की पूजा की। भगवान बालाजी के प्रकट होने का यह समाचार तुरन्त असोटा गाँव में फ़ैल गया। असोटा के ठाकुर ने भी यह खबर सुनी। बालाजी ने उसके सपने में आकर उसे आदेश दिया कि इस मूर्त्ति को चूरू जिले में सालासर भेज दिया जाए। उसी रात भगवान हनुमान के एक भक्त, सालासर के मोहन दासजी महाराज ने भी अपने सपने में भगवान हनुमान यानि बालाजी को देखा। भगवान बालाजी ने उसे असोटा की मूर्त्ति के बारे में बताया। उन्होंने तुरन्त आसोटा के ठाकुर के लिए एक सन्देश भेजा। जब ठाकुर को यह पता चला कि आसोटा आये बिना ही मोहन दासजी को इस बारे में थोड़ा-बहुत ज्ञान है, तो वे चकित हो गये। निश्चित रूप से, यह सब सर्वशक्तिमान भगवान बालाजी की कृपा से ही हो रहा था। मूर्त्ति को सालासर भेज दिया गया और इसी जगह को आज सालासर धाम के रूप में जाना जाता है। दूसरी मूर्त्ति को इस स्थान से 25 किलोमीटर दूर पाबोलाम (जसवंतगढ़) में स्थापित कर दिया गया। पाबोलाव में सुबह के समय समारोह का आयोजन किया गया और उसी दिन शाम को सालासर में समारोह का आयोजन किया गया।

दर्शनीय स्थल

मोहनदास जी की धुनिया वह जगह है, जहाँ महान भगवान हनुमान के भक्त मोहनदास जी के द्वारा पवित्र अग्नि जलायी गयी, जो आज भी जल रही है। हिंदू श्रद्धालु और तीर्थयात्री यहाँ से पवित्र राख ले जाते हैं। श्री मोहन मंदिर, बालाजी मंदिर के बहुत ही पास स्थित है, यह इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि मोहनदास जी और कनिदादी के पैरों के निशान यहाँ आज भी मौजूद हैं। इस स्थान को इन दोनों पवित्र भक्तों का समाधि स्थल माना जाता है। पिछले आठ सालों से यहाँ निरंतर रामायण का पाठ किया जा रहा है। भगवान बालाजी के मंदिर परिसर में, पिछले 20 सालों से लगातार अखण्ड हरी कीर्तन या राम के नाम का निरंतर जाप किया जा रहा है। अंजनी माता का मंदिर लक्ष्मणगढ़ की ओर सालासर धाम से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अंजनी माता भगवान हनुमान या बालाजी की माँ थी। गुदावादी श्याम मंदिर भी सालासर धाम से एक किलोमीटर के भीतर स्थित है। मोहनदास जी के समय से दो बैलगाड़ियों को यहाँ बालाजी मंदिर परिसर में रखा गया है। शयनन माता मंदिर, जो यहाँ से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर रेगिस्तान में एक अद्वितीय पहाड़ी पर स्थित है, माना जाता है कि यह 1100 साल पुराना मंदिर है, यह भी दर्शन के योग्य है।

श्री हनुमान जयन्ती का उत्सव हर साल चैत्र शुक्ल चतुर्दशी और पूर्णिमा को मनाया जाता है। श्री हनुमान जयन्ती के इस अवसर पर भारत के हर कोने से लाखों श्रद्धालु यहाँ पहुँचते हैं।

आश्विन शुक्लपक्ष चतुर्दशी और पूर्णिमा को मेलों का आयोजन किया जाता है और बड़ी संख्या में भक्त इन मेलों में भी पहुँचते हैं। भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्दशी और पूर्णिमा पर आयोजित किये जाने वाले मेले भी बाकी मेलों की तरह आकर्षक होते हैं। इन अवसरों पर नि:शुल्क भोजन, मिठाईयों और पेय पदार्थों का वितरण किया जाता है।

सालासर बालाजी मंदिर का रखरखाव मोहनदास जी ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है। सालासर ट्रस्ट सालासर कस्बे के लिए काफी सुविधाएँ उपलब्ध कराती है, जैसे मंदिर के जेनरेटर से कस्बे में बिजली उपलब्ध करायी जाती है, फ़िल्टर किया हुआ साफ़ पानी कस्बे के लोगों के लिए उपलब्ध कराया जाता है।


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